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श्री राम मंगलाष्टक
॥ अथ श्रीराममङ्गलाष्टकम् ॥
सङ्गीतप्राणमूलाय सप्तस्वराधिवासिने ।
षड्जाधारश्रुतिस्थाय सद्गुरुस्वाय
मङ्गलम् ॥ १॥
ऋषभारूढनूताय रिपुसूदनकीर्तये ।
ऋषिश्रेष्ठसुगीताय रिपुभीमाय मङ्गलम् ॥ २॥
गङ्गापावनपादाय गम्भीरस्वरभाषिणे ।
गान्धर्वगानलोलाय गभीराय सुमङ्गलम् ॥ ३॥
मङ्गलं क्षितिजापाय मङ्गलानन्दमूर्तये ।
मङ्गलश्रीनिवासाय माधवाय सुमङ्गलम्
॥ ४॥
पञ्चमस्वरगेयाय परिपूर्णस्वराब्धये ।
पाथोधिरागरङ्गाय परार्थाय सुमङ्गलम् ॥
५॥
धन्याय धर्मपालाय धैवत्यधैर्यदायिने ।
ध्याताय ध्यानगम्याय ध्यातरूपाय
मङ्गलम् ॥ ६॥
निषादगुहमित्राय निशाचरमदारये ।
निर्वाणफलदात्रे च नित्यानन्दाय मङ्गलम् ॥
७॥
सप्तस्वराधिनाथाय सङ्गीतकृतिसेविने ।
सद्गुरुस्वामिगेयाय सीतारामाय मङ्गलम्
॥ ८॥
। इति सद्गुरुश्रीत्यागराजस्वामिनः शिष्यया भक्तया पुष्पया अनुरागेण कृतं श्रीराममङ्गलाष्टकं गुरौ समर्पितम् ।
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