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आप सभी के लिए पेश है भाई दूज की कथा हिंदी में (bhai dooj katha)।

bhai dooj katha story in hindi with pdf

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भाई दूज की कथा - Bhai Dooj Katha

दीपावली के तीसरे दिन अर्थात् कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज के नाम से जाना जाता है। इस दिन भाई अपनी बहन के हाथो रोली-अक्षत लगवाकर मिठाई खाता और उसे दक्षिणा के रूप में कुछ द्रव्य भी देता है। इस दिन भाई के लिए बहिन के घर का भोजन करने का विधान है। परन्तु कहीं-कहीं जिनके भाई बहिन के घर नहीं पहुंच पाते उनकी बहिनें भाई के घर पर जा कर उन्हें टीका लगाकर मिठाइयाँ खिलाती है।

पौराणिक कथाओं के आधार पर ऐसा कहा जाता है कि, एक बार यमुना (नदी) ने अपने भाईयमराज को मांगलिक द्रव्यो से टीका लगाकर उन्हें भोजन कराया था। जिस दिन यमुना ने भाई से आग्रह कर भोजन आदि से सन्तुष्ट किया था, उस दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि थी। तभी से इस पर्व को माना जाने लगा। बहिन की सेवा से सन्तुष्ट होकर यमुना से वरदान माँगने के लिए कहा। 

बहिन यमुना ने उत्तर दिया- आज की पुनीत तिथि के दिन जो भाई-बहिन एक साथ मेरे जल में स्नान करें, उन्हे अन्त काल में यम-यातना न भोगना पड़े और वह जीवनकाल में सभी प्रकार से सुख-समृद्धि को प्राप्त हो । अपनी बहिन को अभीसत वरदान देकर यमराज अपने लोक को चले गए। अतः हम सभी लोगों का नैतिक कर्तव्य है कि, इस पावन-पर्व को विधिवत्म मनाए।

भाई दूज की कथा PDF - Bhai Dooj Katha PDF

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