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आप सभी के लिए पेश है मंगलवार की व्रत कथा (mangalvar vrat katha) और साथ में मंगलवार व्रत की विधि (tuesday vrat katha)।

mangalvar vrat katha

आप मंगलवार व्रत कथा PDF (mangalvar vrat katha pdf) डाउनलोड भी कर सकते है अपने फ़ोन ताकि आप बिना इंटरनेट के पढ़ सके (hanuman vrat katha)।


मंगलवार व्रत विधि - Mangalvar Vrat Vidhi

सर्व सुख, रक्त विकार, राज्य सम्मान तथा पुत्र की प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत उतम है। इस व्रत में गेहू और गुड का ही भोजन करना चाहिए। भोजन दिन रात में एक बार ही ग्रहण करना चाहिए। 

व्रत 21 हफ्तों तक रखे। इस व्रत से मनुष्य के सभी दोष नष्ट हो जाते हैं। व्रत के पूजन के समय लाल पुष्पों को चढावे और लाल वस्त्र धरण करे। अंत में हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए तथा मंगलवार की कथा सुननी चाहिए।

मगंलवार व्रत कथा - Mangalvar Vrat Katha

एक गॉव में ब्राह्मण और उसकी पत्‍नी रहते थे, उनके कोई सन्‍तान नही होने के कारण दोनो बहुत दुखी रहते थे। वह ब्रह्मण रोज हनुमानजी की पूजा हेतु वन में जाता और पूजा के दौरान पुत्र प्राप्‍ति का वरदान मागंता था। और घर पर उसकी पत्‍नी पुत्र प्राप्‍ति के लिए प्रत्‍येक मंगलवार को व्रत रखती थी। वह हर मंगलवार को पूरे विध‍ि विधान से हनुमानजी का व्रत व पूजा करती और भोजन बनाकर पहले तो हनुमानजी को भोग लगाती और फिर दोनो ग्रहण करते थे। 

एक बार कोई ऐसा व्रत आ गया जिसके कारण वह भोजन न बना सकी और हनुमानजी को भोग नही लगा पायी। वह अपने मन में ऐसा प्रण करके सो गई कि अब अगले मंगलवार को हनुमान जी का भोग लगाकर अन्‍न ग्रहण करूगी। वह ब्रह्मणी 6 दिन तक भूखी प्‍यासी रहने के कारण उसे मूर्छा आ गई। तब हनुमानजी उसकी लगन और निष्‍ठावान भक्‍ती को देखकर प्रसन्‍न हो गये। उन्‍होने उसे दर्शन दिया और कहा मै तुमसे अति प्रसन्‍न हूँ। “मै तुम्‍हे एक सुन्‍दर बालक देता हूँ”, जो तेरी बहुत सेवा किया करेगा। 

हनुमानजी मंगलवार को बाल रूप में दर्शन देकर अन्‍तर्धान हो गए। वह ब्रह्मणी सुन्‍दर बालक पाकर अति प्रसन्‍न हुई, और उसका नाम मंगल रखा। कुछ दिनो के बाद ब्रह्मण वन से लौटकर आया। तो उसने उस बालक को घर के आगंन में क्रीडा करते देखकर ब्रह्मणी से पूछा “यह बालक कौन है?” तब पत्‍नी ने कहा की हनुमानजी महाराज मगंलवार के व्रत से प्रसन्‍न होकर मुझे वरदान के रूप में यह बालक दिया है। ब्रह्मण अपनी पत्‍नी की बात सुनकर सोचा की यह बात छल से भरी जान उसने सोचा यह कुल्‍टा व्‍याभिचारिणी अपनी कलुषता छुपाने के लिए बात बना रही है।

एक दिन पति कुऍं पर पानी भरने के लिए जार रहा था, तब ब्रह्मणी बाेली की मंगल को भी अपने साथ ले जाओ। वह ब्रह्मण मंगल को अपने साथ ले गया और उसे कुऍ में डालकर स्‍वमं पानी भरकर घर आया, तो पत्‍नी ने पूछा कि मंगल कहा है। तब पीछे देखा तो मंगल मुस्‍कुराता हुआ घर आ रहा था, उसको देखकर ब्रह्मण आश्‍चर्य चकित रह गया। जब रात्रि में ब्रह्मण सोया हुआ था हनुमानजी उसके स्‍वप्‍न में आकर बोले की यह बालकर मैन दिया है। 

तुम अपनी पत्‍नी को कुल्‍टा और भुरा भला मत कहा। पति यह जानकर बहुत ही प्रसन्‍न हुआ और वह अपनी पत्‍नी के साथ प्रत्‍येक मंगलवार का व्रत करने लगा। और अपने जीवन को आन्‍नदपूर्वक व्‍यतीत करने लगा। जो मनुष्‍य मंगलवार व्रत कथा को पढ़ता है या सुनता है और पूरे नियमो से व्रत रखता है। उसके हनुमान जी की कृपा से सभी कष्‍ट दूर हो जाते है। उसे सर्व सुख प्राप्‍त होते है!

मंगलवार व्रत कथा PDF - Mangalvar Vrat Katha PDF

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