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आप सभी के लिए पेश है बुधवार की व्रत कथा (budhwar vrat katha) और साथ में बुधवार व्रत की विधि।

budhwar vrat katha in hindi

आप बुधवार व्रत कथा PDF (budhwar vrat katha pdf) डाउनलोड भी कर सकते है अपने फ़ोन ताकि आप बिना इंटरनेट के पढ़ सके (ganesh ji vrat katha)।


बुधवार व्रत विधि - Budhwar Vrat Vidhi

बुधवार के व्रत करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है तथा धन-वैभव की वृद्धि होती है। बुधवार के 21 या 41 व्रत लिए जाते हैं तथा पूरे दिन में एक ही समय भोजन करने का विधान है। बुधवार का व्रत करने के लिए प्रात: स्नान आदि से निवृत्‍त होकर हरे रंग की माला या वस्त्र धारण करने चाहिए। 

इस दिन भगवान बुध की पूजा करनी चाहिए साथ ही साथ गणेशजी के भी दर्शन करे और इन्हें पुष्प आदि चढ़ाये। भगवान बुध की मूर्ति ना होने पर शंकर जी की प्रतिमा के समीप भी पूजा की जा सकती है। इसके बाद इस दिन “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:” बीज मंत्र का जाप करें। 

शाम के समय आरती करके प्रसाद ग्रहण करें। बुधवार व्रत में हरे रंग के वस्त्रों, फूलों और सब्जियों का दान देना चाहिए। इस दिन एक समय दही, मूंग दाल का हलवा या हरी वस्तु से बनी चीजों का सेवन करना चाहिए।

बुधवार व्रत कथा - Budhwar Vrat Katha

एक समय एक व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा करवाने के लिये अपनी ससुराल गया। वहां पर कुछ दिन रहने के पश्चात् सास-ससुर से विदा करने के लिये कहा। किन्तु सबने कहा कि आज बुद्धवार का दिन है आज के दिन गमन नहीं करते हैं। वह व्यक्ति किसी प्रकार न माना और हठधर्मी करके बुद्धवार के दिन ही पत्नी को विदा कराकर अपने नगर को चल पड़ा। 

राह में उसकी पत्नी को प्यास लगी तो उसने अपने पति से कहा कि मुझे बहुत जोर से प्यास लगी है। तब वह व्यक्ति लोटा लेकर रथ से उतरकर जल लेने चला गया। जैसे ही वह व्यक्ति पानी लेकर अपनी पत्नी के निकट आया तो वह यह देखकर आश्चर्य से चकित रह गया कि ठीक अपनी ही जैसी सूरत तथा वैसी ही वेश-भूषा में वह व्यक्ति उसकी पत्नी के साथ रथ में बैठा हुआ है। उसने क्रोध से कहा कि तू कौन है जो मेरी पत्नी के निकट बैठा हुआ है।

दूसरा व्यक्ति बोला कि यह मेरी पत्नी है। इसे मैं अभी-अभी ससुराल से विदा कराकर ला रहा हूं। वे दोनों व्यक्ति परस्पर झगड़ने लगे. तभी राज्य के सिपाही आकर लोटे वाले व्यक्ति को पकड़ने लगे। स्त्री से पूछा, तुम्हारा असली पति कौन सा है। तब पत्नी शांत ही रही क्योंकि दोनों एक जैसे थे। वह किसे अपना असली पति कहे। 

वह व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ बोला हे परमेश्वर, यह क्या लीला है कि सच्चा झूठा बन रहा है। तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे गमन नहीं करना था। तूने किसी की बात नहीं मानी। यह सब लीला बुध देव की है। उस व्यक्ति ने तब बुद्धदेव जी से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिये क्षमा मांगी। तब बुधदेव जी अन्तर्ध्यान हो गए। 

वह अपनी स्त्री को लेकर घर आया तथा बुधवार का व्रत वे दोनों पति-पत्नी नियमपूर्वक करने लगे। जो व्यक्ति इस कथा को श्रवण करता तथा सुनाता है उसको बुधवार के दिन यात्रा करने का कोई दोष नहीं लगता है, उसको सर्व प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

बुधवार व्रत कथा - Budhwar Vrat Katha PDF

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