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विष्णु भगवान की आरती | Vishnu Aarti Lyrics in Hindi | Vishnu Aarti in Hindi PDF

आप सभी पाठको के लिए पेश है विष्णु जी की आरती हिंदी में (Vishnu Aarti in Hindi)। 

Vishnu Aarti in Hindi With PDF

आप विष्णु जी की आरती को ऑनलाइन पढ़ भी सकते है और साथ ही विष्णु जी की आरती pdf (Vishnu Aarti PDF) को अपने फ़ोन में डाउनलोड भी कर सकते है बिना इंटरनेट के पढ़ने के लिए।



Vishnu Aarti in Hindi 

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥
ॐ जय जगदीश हरे ।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का ।
स्वामी दुःख विनसे मन का ।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥
ॐ जय जगदीश हरे ।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी ।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी ॥
ॐ जय जगदीश हरे ।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी ॥
ॐ जय जगदीश हरे ।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता ।
स्वामी तुम पालन-कर्ता ।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता ॥
ॐ जय जगदीश हरे ।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति ।
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति ॥
ॐ जय जगदीश हरे ।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे ।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे ।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे ॥
ॐ जय जगदीश हरे ।

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा ।
स्वमी पाप हरो देवा ।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा ॥
ॐ जय जगदीश हरे ।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे ।
स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे ॥
ॐ जय जगदीश हरे ।


Vishnu Aarti PDF

विष्णु जी की आरती को बिना इंटरनेट के पढ़ने के लिए निचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करे और विष्णु आरती pdf (vishnu ji ki aarti pdf) को अपने मोबाइल में डाउनलोड करे।

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